बांग्लादेश के कुमुदिनी कल्याण ट्रस्ट में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
राष्ट्रपति जी की बांग्लादेश-यात्रा : 05-03-2013
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श्री राजीव शाहा, प्रबंधन निदेशक, कुमुदिनी कल्याण ट्रस्ट,
श्रीमती शाहा,
सुश्री प्रतिभा मुत्सुद्दी, निदेशक भारतेश्वरी होम,
कुमुदिनी कल्याण ट्रस्ट के ट्रस्टी और सदस्यगण,
मेरे प्यारे विद्यार्थियो,
मुझे यहां, कुमुदिनी में आपके बीच तथा भारतेश्वरी महिला गृह में आकर बहुत खुशी हो रही है। आपने सुंदरता के साथ सुरुचि, अनुशासन तथा शारीरिक सौष्ठव के अच्छे संयोजन सहित एक शानदार प्रदर्शन किया है। मैं आपकी प्रतिभा और कठिन परिश्रम से, वास्तव में प्रभावित और अभिभूत हूं।
आप सबको देखकर मैं यह कह सकता हूं कि बांग्लादेश का भविष्य उज्ज्वल है। आप में से हर एक, एक दिन बाहर की दुनिया में जाएगा। इस संस्था में आपको जो प्रशिक्षण और शिक्षा प्राप्त हो रही है वह आपको, अपनी मातृभूमि के उपयोगी तथा स्वाभिमानी नागरिक के रूप में तैयार करेगी। आप एक नए बांग्लादेश के निर्माता बनेंगे। सभी के लिए आप युवाओं के प्रतिनिधि हैं जो सुदंर भविष्य के लिए प्रयासरत हैं। आप बांग्लादेश के युवाओं को हमारी शुभकामनाएं। इस सुदंर देश की अपनी यात्रा के अंतिम व्याख्यान में मैं गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर की कविता से कुछ पंक्तियां उद्धृत करना चाहूंगा:
जहां मन में नहीं कोई भय,
जहां मस्तक रहे ऊंचा,
जहां ज्ञान हो निर्मूल्य,
जहां विश्व छोटी-छोटी घरेलू दीवारों से न हो गया हो विखंडित...
बांग्लादेश ने शिक्षा तथा महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है। अब बड़ी संख्या में लड़कियां स्कूल जा रही हैं। मैं बांग्लादेश सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा देने, कक्षा दस तक लड़कियों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने, महिला विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने तथा पाठ्यपुस्तकों के वितरण जैसी दूरगामी पहलों को शुरू करने के लिए बधाई देता हूं।
महिलाओं की शिक्षा, किसी स्वस्थ तथा सुरक्षित समाज के निर्माण की पहली अनिवार्य शर्त है। परंतु यह कार्य केवल सरकार द्वारा संभव नहीं है और इसलिए मुझे खुशी है कि कुमुदिनी ट्रस्ट बांग्लादेश में लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के राष्ट्रीय प्रयासों में हाथ बटा रहा है।
मैं हार्दिक सम्मान के साथ, श्री रानदा प्रसाद साहा को याद करना चाहूंगा जो कि इस देश के महानतम् परोपकारी व्यक्तियों में से एक थे। उन्होंने तथा उनके परिवार ने खुद को पीड़ितों तथा जरूरतमंदों की सेवा में समर्पित कर दिया था। श्री रानदा प्रसाद साहा की प्राथमिकता गरीबों के लिए अस्पताल खोलने की थी ताकि वे, और खासकर महिलाएं मुफ्त उपचार प्राप्त कर सकें। महिला शिक्षा के प्रसार के लिए उन्होंने ऐसे स्कूल खोले जो महिलाओं को समर्पित थे और जिसमें उन्हें सर्वांगीण शिक्षा देकर सामाजिक रूप से जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में तैयार किया जा सके। यह दुख की बात है कि केवल रानदा प्रसाद साहा ही नहीं बल्कि उनके परिजनों ने भी बांग्लादेश के निर्माण से पूर्व के दिनों में बहुत कष्ट उठाए। हम उनकी वीरता के लिए उनका सम्मान करते हैं तथा उनकी स्मृति को श्रद्धांजलि देते हैं। यह उनके प्रति श्रद्धांजलि है कि कुमुदिनी ट्रस्ट तथा इसकी संबद्ध सेवाएं प्रगति करती गई हैं तथा उन्होंने देश की इतनी अच्छी सेवा की है। कुमुदिनी अस्पताल तथा मेडिकल कॉलेज अत्यंत जरूरतमंदों तथा दीन-हीनों के लिए धर्मार्थ कार्य कर रहा है। आप सौभाग्यशाली हैं कि आप एक ऐसे संस्थान में पढ़ रहे हैं जो कि नि:स्वार्थ सेवा के उच्चतम् मूल्यों का प्रतीक है।
आपके प्रयासों में, भारत सरकार के एक छोटे से सांकेतिक सहयोग के रूप में मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हम आपके परिसर की सीवरेज प्रणाली के उच्चीकरण के लिए धन प्रदान करंगे, जिसकी मैं समझता हूं कि बहुत दिनों से जरूरत थी। इसके अलावा, हम एक उन्नत प्रयुक्त जल शोधन संयंत्र प्रणाली के निर्माण के लिए भी धन प्रदान करेंगे। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि यह परियोजना इस परिसर का नक्शा बदल देगी तथा प्रयुक्त जल शोधन प्रणाली लगाने से जो भूमि बचेगी, उसे कृषि तथा अन्य उत्पादक कार्यों में उपयोगितापूर्ण ढंग से कार्य में लाया जाएगा।
मुझे स्मरण है कि आप में से कुछ लोग उस युवा शिष्टमंडल में शामिल थे जो पिछले वर्ष दिल्ली आया था। आज मुझे आपसे मिलने के लिए यहां आकर तथा खुद इस शानदार संस्थान को देखकर बहुत खुशी हो रही है।
जो कुछ मैंने यहां देखा है, उसे देखकर मैं बहुत प्रभावित हुआ हूं तथा मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप बांग्लादेश के विशिष्ट नागरिक बनेंगे।
मैं आपमें से हर एक की सफलता और उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।