वियतनाम समाजवादी गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति चुअंग तन साँग द्वारा आयोजित राज-भोज के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति का अभिभाषण

राष्ट्रपति जी की वियतनाम-यात्रा : 15-09-2014

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Speech By The President Of India, Shri Pranab Mukherjee At The Banquet Hosted By The President Of The Socialist Republic Of Vietnam, H.e. Mr. Truong Tan Sangमहामहिम, राष्ट्रपति चुअंग तन साँग,

विशिष्ट अतिथिगण,

मैं यहां आकर सम्मान का अनुभव कर रहा हूं। मैं आपके उदारतापूर्ण शब्दों तथा आप द्वारा व्यक्त विनम्र उद्गारों,जिनका मैं उसी तरह प्रत्युत्तर देना चाहूंगा,के लिए आपको धन्यवाद देता हूं। मैं वियतनाम की सरकार तथा जनता द्वारा मेरे तथा मेरे शिष्टमंडल के भावपूर्ण स्वागत से अत्यधिक प्रभावित हुआ था। वियतनाम की मेरी यात्रा से मुझे,दोनों महान देशों के बीच स्थाई मैत्री तथा सहयोग के लिए भारत की सरकार तथा जनता की गहरी प्रतिबद्धता से,आपको व्यक्तिगत रूप से अवगत कराने का अवसर मिला है।

महामहिम, वियतनाम वह देश है, जिसके लोगों को भारत बहुत सम्मान के साथ देखता है। हम वियतनाम के लोगों के अविजेय साहस,हर तरह की विपरीत परिस्थितियों के समक्ष सफलता प्राप्त करने के उनके दृढ़ संकल्प और दृढ़ता तथा सबसे शक्तिशाली शत्रुओं के समक्ष साहस के प्रदर्शन की बहुत सराहना करते हैं। आज, वही गुण तथा राष्ट्रीय चरित्र आपकी आर्थिक प्रगति और विकास को गति प्रदान कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप,आपकी जनता की समृद्धि बढ़ी है तथा जीवन स्तर बेहतर हुआ है। यह प्रगति इस देश के प्रेरणादायक नेतृत्व की तथा इस देश के लोगों की लगन का प्रमाण है।

महामहिम, सदियों से हमारे दोनों देश परस्पर लाभदायक व्यापार तथा शांतिपूर्ण संबंधों से निकटता से जुड़े रहे हैं। इनमें से,हमारा सबसे मजबूत संबंध हमारी बुद्ध धर्म की साझी विरासत है। आज भी,बुद्ध के उपदेश तथा उनके सिद्धांत कारगर और प्रासंगिक हैं तथा हमारे दोनों समाजों द्वारा इनका अपने दैनिक जीवन और व्यवहार में प्रयोग किया जाता है।

उपनिवेशी शासन से आजादी का हमारा संघर्ष भी समान रहा है। 1942में सुप्रसिद्ध हो चि मिन्ह ने कारागार की अपनी कोठरी से पंडित नेहरू को,जो उस समय खुद जेल में थे,यह कहते हुए पत्र लिखा था कि यद्यपि वे कभी मिले नहीं हैं और उनके बीच हजारों मील का फासला है परंतु फिर भी वे‘निशब्द’संवाद करते रहे हैं। निश्चय ही,पंडित नेहरू ने हो चि मिन्ह को अपनी पूर्ण एकजुटता तथा समर्थन दिया था। वह हनोई की आजादी के बाद वियतनाम लोकतांत्रिक गणराज्य की यात्रा करने वाले पहले विदेशी नेता थे। यह भी उल्लेखनीय है कि पंडित नेहरू की इस यात्रा के दौरान ही,आजाद हनोई में लौटने के बाद,हो चि मिन्ह पहली बार जनता के सामने आए थे।

1958में हो चि मिन्ह को उनकी दिल्ली यात्रा के दौरान और डॉ. राजेंद्र प्रसाद को1959में उनकी वियतनाम यात्रा के दौरान जनता का जो शानदार स्वागत मिला,वह हम दोनों की जनता के बीच महान समानुभूति तथा मित्रता का प्रतीक था।

मैं अपने देशों के इन राष्ट्र निर्माताओं की प्रगाढ़ मैत्री का स्मरण करना चाहूंगा क्योंकि यह उनकी परिकल्पना तथा दूरदृष्टि ही थी जिसने हमारी प्रगाढ़ता की भारी संभावनाओं को पहचाना था। हमारे नेतृत्व की अगली पीढ़ियों ने इसको संजोया और मजबूत किया है। इसकी गर्मजोशी बनी हुई है तथा आज मुझे दिए गए सत्कार में मैं इसे महसूस कर सकता हूं।

महामहिम, हमारे राष्ट्रों ने उपनिवेशवाद के बाद की एकजुटता से आगे बढ़ते हुए स्वाभाविक साझीदार के रूप में कार्यनीतिक मैत्री के अगले चरण में प्रवेश कर लिया है। हमारे रिश्ते कभी भी इतने बेहतरीन नहीं रहे जितने आज हैं। हमारी कार्यनीतिक साझीदारी एक मजबूत, परस्पर लाभदायक, बहुमुखी संबंधों के रूप में विकसित हो चुकी है। क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर हमारा सहयोग इस कार्यनीतिक साझीदारी का एक मजबूत स्तंभ है। इसे,उच्चतम राजनीतिक स्तर पर नियमित आदान-प्रदान तथा हमारे द्वारा स्थापित संस्थागत तंत्रों के द्वारा सशक्त किया गया है।

आज, जब हम विश्व की दो सबसे तेजी से प्रगति करती हुई अर्थव्यवस्थाओं के रूप में उभर रहे हैं,तब हमारे द्विपक्षीय व्यापार तथा निवेश,विज्ञान और प्रौद्योगिकी में हमारा सहयोग,मानव संसाधन विकास में हमारा सहयोग तथा हमारे सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए हमारे संयुक्त प्रयासों की संभावनाएं असीमित हैं।

हमारे नजरियों में अधिकतर क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर समानता है। हमारा यह विश्वास है कि हम मिलकर इस क्षेत्र में तथा विश्व में शांति,स्थाईत्व तथा सुरक्षा को बढ़ावा दे सकते हैं। ऐसे दो विकासशील देश होने के नाते,जिनकी भविष्य पर दावेदारी है, हमें अपनी बहुत सी समानताओं से लाभ उठाना चाहिए।

मुझे विश्वास है कि हमारा संवाद तथा साझीदारी आने वाले वर्षों में और भी मजबूत होगी। भविष्य हमारे सामने बहुत से अवसर तथा निश्चित रूप से बहुत सी चुनौतियां रख रहा है। अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा तथा शांति और समृद्धि के अपने साझे लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए भारत और वियतनाम को मिलकर चलना होगा।

भारत सदैव आपका भरोसेमंद तथा हर हाल में साथ निभाने वाला मित्र बना रहेगा।

महामहिम, देवियो और सज्जनो,

आइए हम सब मिलकर :

- वियतनाम समाजवादी गणराज्य के राष्ट्रपति, महामहिम चुअंग तन साँग तथा आज यहां मौजूद आप सभी लोगों के अच्छे स्वास्थ्य, खुशहाली तथा सफलता के लिए;

- वियतनाम की बहादुर तथा मैत्रीपूर्ण जनता की शांति, समृद्धि और प्रगति के लिए;और

- भारत तथा वियतनाम के बीच मैत्री के चिरस्थाई संबंधों के लिए,कामना करें।

धन्यवाद।