हो चि मिन्ह नेशनल एकेडमी फॉर पॉलिटिक्स एंड पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में भारत अध्ययन केन्द्र के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का उद्बोधन

राष्ट्रपति जी की वियतनाम-यात्रा : 15-09-2014

डाउनलोड : विदेशी दौरे (140.94 किलोबाइट)

Remarks By President Of India, Shri Pranab Mukherjee At The Inauguration Of India Study Centre In Ho Chi Minh National Academy For Politics And Public Administrationमहामहिम, राष्ट्रपति चुअंग तन साँग,

विशिष्ट देवियो और सज्जनो,

भारत अध्ययन केंद्र के उद्घाटन में आपके बीच आकर मुझे खुशी हो रही है। हमारी जनता के पारस्परिक संबंधों के लिए हमारी दोनों सरकारों की स्थाई प्रतिबद्धता है। इस अध्ययन केंद्र की स्थापना उसका एक और उदाहरण है।

भारत और वियतनाम के बीच दूसरी सदी ईस्वी से मजबूत सभ्यतागत संबंध बने हुए हैं। ये आज जीवंत तथा बहुआयामी कार्यनीतिक साझीदारी में विकसित हो गए हैं। हमारा मौजूदा संवाद हमारे अपने-अपने देशों के संस्थापकों की प्रगाढ़ आपसी समझ तथा मैत्री पर आधारित है। भारत और वियतनाम के अपनी-अपनी राष्ट्रीय अस्मिताओं को आकार प्रदान करने, उपनिवेशवादी शासन से आजादी के लिए हमारे संघर्ष, विकास के लिए हमारी प्यास तथा हमारी जनता की आकांक्षाओं को साकार करने के समान अनुभव रहे हैं।

आज, हम खुले दिल से द्विपक्षीय संवाद करते हैं तथा साझा हित के क्षेत्रों में हमारा सहयोग धीरे-धीरे मजबूत होता गया है। हम साझा हित के बहुत से क्षेत्रों में संयुक्त पहलों और कार्यक्रमों पर सहयोग कर रहे हैं। वर्ष 2012 में हमने अपने कूटनीतिक रिश्तों की स्थापना की 40वीं वर्षगांठ मनाई है। हमारे बीच कोई मतांतर नहीं है। राष्ट्रपति हो चि मिन्ह ने भारत-वियतनाम रिश्तों की एक ‘मेघ रहित आकाश’ से तुलना की थी।

हमारे साझा अनुभवों को भगवान बुद्ध के उपदेशों से दिशा मिली है। उन्होंने हममें शांति तथा सभी प्राणियों के सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व के प्रति गहरे सम्मान का समावेश किया है। अधिकांश क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर हमारे नजरियों में समानता है। हमारी सरकारें संयुक्त राष्ट्र,विश्व व्यापार संगठन तथा बहुत से क्षेत्रीय तथा बहुपक्षीय मंचों पर निकट से सहयोग कर रही हैं। हम दोनों की जनता ऐसे समाज के निर्माण के प्रति कृतसंकल्प है जो शांतिपूर्ण, समृद्ध तथा स्थाई हो। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बदलते शक्ति समीकरणों के कारण आर्थिक और कार्यनीतिक आकर्षण का झुकाव एशिया की ओर हुआ है। हमें इस संदर्भ में हमारी बढ़ती हुई साझीदारी की भूमिका तथा प्रासंगिकता दिखाई दे रही है।

महामहिम, भारत में हम वियतनाम को एक भरोसेमंद मित्र तथा भारत की ‘लुक ईस्ट नीति’का महत्वपूर्ण स्तंभ मानते हैं। रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में हमारे सहयोग में हम अपने क्षेत्र में शांति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

वियतनाम भारत का एक सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक साझीदार भी है। हमारा द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2013-14 में31 प्रतिशत की अच्छी खासी बढ़ोतरी के साथ 8 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंच गया है और इसने हम दोनों द्वारा संयुक्त रूप से तय लक्ष्य को पीछे छोड़ दिया है।

महामहिम, मैं हमारे आर्थिक संबंधों को और मजबूत बनाने के महत्व पर जोर देना चाहूंगा। हमारी अनुपूरकताओं की संभावनाएं बहुत हैं। व्यापार तथा निवेश में नवीन अवसर मौजूद हैं। क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए भी काफी अवसर हैं। हम भारत और वियतनाम में तथा तृतीय देशों में हमारे निवेशकों के बीच संयुक्त उद्यमों को प्रोत्साहन दे सकते हैं और देना ही होगा। बदले में इनसे निस्संदेह हमारी दोनों अर्थव्यवस्थाओं में विकास, रोजगार तथा दक्षताओं को प्रोत्साहन मिलेगा।

हमारी दोनों सरकारों ने, वर्षों के दौरान, हमारी जनता के बीच संयोजनों की मजबूती को पूरा प्रोत्साहन दिया है। हमारे निवेशकों तथा व्यापारियों, पेशेवरों और अनुसंधानकर्ताओं,प्रौद्योगिकीविदों और शिक्षाविदों तथा हमारे सांसदों और हमारे युवा सफलता से एक साथ कार्य कर रहे हैं। हमारी द्विपक्षीय बातचीत का उद्देश्य हमारे परस्पर फायदे के लिए उनका और अधिक सहयोग प्राप्त करना है।

हमने अपने बीच संयोजकता को बढ़ावा देने को भी प्राथमिकता दी है और यहां पर मैं भौतिक, संस्थागत तथा जनता की आपसी संयोजकताओं के बारे में बात कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि भारत और वियतनाम के बीच सीधी उड़ानें इस वर्ष कुछ समय बाद शुरू हो जाएंगी और मुझे उम्मीद है कि शीघ्र ही हनोई से कोलकाता के बीच वाहन चलाकर यात्रा करना संभव हो पाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग शीघ्र ही माई सोन में चाम स्मारकों के जीर्णोद्धार तथा संरक्षण पर कार्य शुरु करेगा। हम हनोई में भारतीय संस्कृति केंद्र खोलने के लिए उत्सुक हैं जो निस्संदेह भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को आपके सुंदर देश के सामने रखेगा।

हम दोनों ही अपने विश्वविद्यालयों और संस्थाओं के बीच आदान-प्रदान को प्रगाढ़ होते देखना चाहेंगे। मुझे जानकर खुशी हो रही है कि हो चि मिन्ह नेशनल एकेडमी फॉर पॉलिटिक्स एंड पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन पहले ही बेंगलुरु के भारतीय प्रबंधन संस्थान तथा दिल्ली के भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के साथ सहयोग का ढांचा तैयार कर चुका है। हमें युवा पीढ़ी की एक दूसरे में रुचि जगाने के लिए यथासंभव प्रयास करने होंगे। हमें उन्हें पारस्परिक लाभदायक संबंध बनाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा ताकि वे भाईचारे की उस भावना को बनाए रखें जिन्होंने हमारे दोनों समाजों को पीढ़ियों से बांधे रखा है। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि यह केंद्र शैक्षणिक आदान-प्रदान का प्रमुख केंद्र होगा और इस प्रकार हमारी जनता के बीच द्विपक्षीय संवाद को समृद्ध करेगा।

महामहिम, इन्हीं शब्दों के साथ, मैं आपको इस केंद्र को सहयोग प्रदान करने के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं, हो चि मिन्ह नेशनल एकेडमी फॉर पॉलिटिक्स एंड पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन को इस पहल के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा तथा भारत अध्ययन केंद्र की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद।