बेल्जियम के प्रधानमंत्री के साथ शिष्टमंडल स्तर की बातचीत में अवसर अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का प्रारंभिक उद्बोधन
राष्ट्रपति की बेल्जियम-यात्रा : 03-10-2013
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महामहिम प्रधानमंत्री एलियो डी. रूपो,
मैं आपके स्वागत के गर्मजोशी भरे शब्दों के लिए धन्यवाद देता हूं। ब्रुसेल्स की यात्रा करना और आपके साथ बातचीत करने का अवसर प्राप्त करना वास्तव में सुखद है।
मैं भारत बेल्जियम के संबंधों पर नजर डालने के लिए आपका धन्यवाद करता हूं। मैं अपनी राजकीय यात्रा के लिए आपके आतिथ्य और आपकी सरकार द्वारा किए गए शानदार प्रबंध की गहरी प्रशंसा करता हूं। मैं आपको अपने शिष्टमंडल के सदस्यों का परिचय करवाना चाहूंगा।
महामहिम,
मैं भारत बेल्जियम के संबंधों के प्रति आपकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता की सराहना करता हूं। हमारे द्विपक्षीय संबंधों ने विशेषकर हाल के वर्षों के दौरान, एकाग्रता और उद्देश्यपूर्णता का एक विशेष स्तर हासिल कर लिया है। मैं आपकी भूमिका और योगदान की प्रसंशा करता हूं। मुझे विश्वास है कि आपके नेतृत्व और योग्य मार्गदर्शन में, भारत-बेल्जियम संबंध नए शिखर पर पहुंचेंगे।
हमारे संबंध में एक नई गतिशीलता आई है। मुझे विश्वास है कि दोनों देश उन सभी क्षेत्रों में साझीदारी और बढ़ाने पर पूरा ध्यान देंगे जिनमें हम कार्यरत हैं।
महामहिम,
हमें 1998 में, एक आर्थिक मिशन पर तत्कालीन युवराज के साथ अर्थव्यवस्था और विदेश व्यापार मंत्री के रूप में आपकी भारत यात्रा की मधुर स्मृति है।
महामहिम,
हम यूरोपीय संघ में अपने एक सबसे घनिष्ठ साझीदार बेल्जियम के साथ अपने मैत्रीपूर्ण और अत्यंत हार्दिक संबंध को बेहद अहमियत देते हैं। विधि का शासन, प्रेस की स्वतंत्रता, मानव अधिकारों की रक्षा और न्यायपालिका की स्वतंत्रता जैसे हमारे साझे मूल्यों और हितों पर आधारित, भारत-बेल्जियम संबंध हाल के वर्षों के दौरान काफी घनिष्ठ हुए हैं। हमारे दोनों देश खुले, बहुभाषी और बहुलवादी समाज हैं। ये हमें ऐसे प्रमुख आधार प्रदान करते हैं जिन पर हम अपने संबंध स्थापित करना चाहते हैं।
भारत और बेल्जियम के बीच उच्च स्तरीय यात्राओं ने हमारे समग्र द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के लिए अत्यावश्यक गति प्रदान की है। हमें नवंबर, 2008 में महामहिम नरेश एलबर्ट II और मार्च, 2010 में तत्कालीन युवराज का स्वागत करने का अवसर प्राप्त हुआ था। भारत के प्रधानमंत्री ने भी एक द्विपक्षीय शिखर बैठक के लिए दिसंबर, 2010 में ब्रुसेल्स की यात्रा की। इन यात्राओं ने अनेक क्षेत्रों में हमारे साझा कार्यसूची को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया है। हमारी सरकार के गठन के बाद, दो वर्ष की छोटी सी अवधि में, हमारे दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने परस्पर यात्राएं की हैं। युवराज एस्ट्रीड के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय व्यापार शिष्टमंडल द्वारा इस वर्ष नवंबर में भारत की यात्रा का प्रस्ताव है।
भारत और बेल्जियम के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदानों में हाल ही के वर्षों में वृद्धि हुई है। हम भारतीय सांस्कृतिक महोत्सवों के आयोजन के लिए बेल्जियम की सरकार और शाही परिवार द्वारा प्रदान किए गए सहयोग की बहुत सराहना करते हैं। मुझे बेल्जियम के नरेश के साथ संयुक्त रूप से यूरोपालिया-भारत महोत्सव का उद्घाटन करके खुशी हुई है। यह महोत्सव भारत से बाहर सबसे विशाल महोत्सव होगा। इन महोत्सवों से हमारे दोनों देशों के बीच सद्भावना और सहयोग बढ़ाने में बहुत मदद मिलेगी और ये हमारे लोगों के बीच संपर्कग् का विस्तार करने के माध्यम बनेंगे।
महामहिम,
विगत कुछ वर्षों के दौरान, हमने यूरोप और अन्य स्थानों पर कठिन आर्थिक हालात देखे हैं। द्विपक्षीय व्यापार में 2012 वाली गति कायन नहीं रह सकी परंतु हमें उम्मीद है कि यह 2013 में गति पकड़ेगी और हम अपने 2008 के 8.8 बिलियन यूरो के द्विपक्षीय व्यापार को अगले पांच वर्षों में दुगुना करने के अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा कर पाएंगे।
महामहिम मैं विस्तार से बताना चाहूंगा कि,
2012 में हमारा व्यापार 12.15 बिलियन यूरो था जिसमें बेल्जियम, यूरोपीय संघ के भीतर जर्मनी के बाद सामग्री के सेक्टर में हमारा दूसरा सबसे विशाल व्यापार साझीदार था। हालांकि यह क्षमता से बहुत कम है।
मुझे यह जानकर भी प्रसन्नता हुई कि एंटेवर्प में हीरे के व्यापार से जुड़े भारतीय नागरिक बेल्जियम की अर्थव्यवस्था में काफी योगदान दे रहे हैं। हीरा सेक्टर हमारे द्विपक्षीय व्यापार का सबसे बड़ा हिस्सा है। तथापि हम अपने व्यापार और निवेश संबंध को बढ़ाने और उसे उसमें विविधता लाने के प्रयास जारी रखेंगे। जीवन विज्ञान, हरित प्रौद्योगिकी, दवा निर्माण, अवसंरचना विकास तथा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में विविधता लाने की गंजाइश है। बेल्जियम इन क्षेत्रों में अपनी प्रमाणित विशेषज्ञता से एक अहम साझीदार बन सकता है। आने वाले वर्षों में इन क्षेत्रों में सहयोग और तेज होगा।
मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि हमने भारत-बेल्जियम तथा लक्जमबर्ग इकनोमिक यूनियन ज्वायंट कमीशन की नियमित बैठक दोबारा शुरू कर दी है। यह द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में विचारों के आदान-प्रदान का एक श्रेष्ठ मंच है, और हमें नियमित अवधि पर इसकी बैठकों के आयोजन का प्रयास करना चाहिए।
हमारी यह भी उम्मीद है कि भारत-यूरोपीय संघ व्यापक व्यापार और निवेश करार के परिणामस्वरूप द्विपक्षीय व्यापार और निवेश में और तेजी आएगी, जो वर्तमान वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के संदर्भ में और भी अधिक प्रासंगिक है। हम बातचीत को शीघ्र निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए बेल्जियम के सहयोग की उम्मीद करते हैं।
महामहिम,
भारत और बेल्जियम अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में ज्यादा निकट से सहयोग करते हैं। हम विस्तारित संयुक्त सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट की भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए आपका धन्यवाद करते हैं। हम, असैनिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के अंतर्गत भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में अपवादस्वरूप शामिल करने में मदद के लिए बेल्जियम के स्पष्ट समर्थन के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।
मुझे उम्मीद है कि बेल्जियम अपना रचनात्मक नजरिया जारी रखेगा और चार शस्त्र नियंत्रक व्यवस्थाओं-परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह, एमटीसीआर, वासेनार व्यवस्था और ऑस्ट्रेलिया समूह का पूर्ण सदस्य बनने के हमारे प्रयासों में सहयोग करेगा। इस मुद्दे पर बेल्जियम द्वारा एक स्पष्ट सार्वजनिक रूख हमारे बेहतर सहयोग के अनुरूप होगा।
महामहिम,
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कुछ क्षेत्रों में बेल्जियम की विशेषज्ञता सुविख्यात है और हम महसूस करते हैं कि इन क्षेत्रों में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं।
महामहिम,
शिक्षा में सहयोग हमारी साझीदारी के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में उभरना चाहिए। हमें बेल्जियम के विश्वविद्यालयों और भारत के प्रख्यात विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान को बढ़ाने की संभावनाएं तलाश करनी चाहिए। मुझे खुशी है कि आज भारत और बेल्जियम के विश्वविद्यालयों के बीच कुछ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
हमें अपने देशों के बीच अधिक से अधिक जनसंपर्क को प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि इससे समान विचारों वाले देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में मदद मिलेगी और हमारे संबंध घनिष्ठ बनेंगे।
महामहिम,
भारत यूरोपीय संघ को अपना एक ऐसा साझीदार मानता है जिसके साथ हमने गहन और बहुआयामी संबंध बढ़ाए हैं। हम 2000 से वार्षिक शिखर बातचीत कर रहे हैं और हमारा संबंध 2004 में कार्यनीति साझीदारी स्तर तक बढ़ गया।
अपनी बात समाप्त करने से पूर्व, मैं दोहराना चाहूंगा कि हम बेल्जियम के साथ अपने संबंध को उच्च प्राथमिकता देते हैं। हमारे साझे मूल्य हमें स्वाभाविक साझीदारी बनाते हैं। हमें ठोस कार्यों के द्वारा आगे बढ़ना चाहिए जिसका हमारे नागरिकों को सीधा लाभ मिले। हम इसी तरीके से अपनी साझीदारी के आधार का विस्तार कर सकते हैं और इसे अधिक सततता प्रदान कर सकते हैं। हमें इसी आलोक में, भावी संबंध को निर्धारित करना होगा।
महामहिम, हम अपने आदान-प्रदानों की निरंतरता के लिए उत्सुक हैं।
धन्यवाद।