भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का मैसुरु दशहरा उत्सव के उद्घाटन के अवसर पर सम्बोधन (HINDI)

मैसुरु : 26.09.2022

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देवी चामुंडेश्वरीगे, नन्ना, मनपूर्वक, नमस्कारगलू!

येल्ला सहोदरा, सहोदरीयरिगे, नन्ना, हृदयपूर्वक, नमस्कारगलू!

मैं, देवी चामुंडेश्वरी को, श्रद्धापूर्वक नमन करती हूं:

जय त्वं देवि चामुण्डे, जय भूतार्तिहारिणि।

जय सर्वगते देवि, कालरात्रि नमोSस्तुते॥

मैं देवी चामुंडेश्वरी से, यह प्रार्थना करती हूं, कि उनका आशीर्वाद, सभी देशवासियों को, सदैव मिलता रहे। दशहरा के शुभारंभ के पावन अवसर पर, मैं सभी देशवासियों को बधाई देती हूं।

कर्नाटक के नाड-हब्बा, यानि State Festival मैसुरु दशहरा के श्रीगणेश के पवित्र अवसर पर, मैं कर्नाटक के सभी निवासियों और मैसुरु के सभी भाई-बहनों के लिए विशेष शुभकामनाएं व्यक्त करती हूं। मुझे इस वर्ष के भव्य दशहरा उत्सव का उद्घाटन करके बहुत प्रसन्नता हो रही है।

हमारी आध्यात्मिक, सांस्कृतिक व लोक-परंपरा में देवी चामुंडेश्वरी परम-पूज्या मानी जाती हैं। एक लोक-परंपरा के अनुसार महाशक्ति ने महिषासुर का इसी क्षेत्र में वध किया था। आदि-शक्ति का यह स्थान आध्यात्मिक ऊर्जा के स्रोत के रूप में जन-जन के हृदय में विद्यमान है। इसका प्रमाण देश-विदेश में बसे वे असंख्य लोग हैं जो दूर-दूर से देवी चामुंडेश्वरी के दर्शन के लिए यहां आते रहते हैं।

देवियो और सज्जनो,

हमारे देश के ऋषि-मुनियों ने तथा सामान्य जनता ने भी सदियों से भारतीय समाज को उत्सवों के माध्यम से जोड़े रखा है। रामायण, महाभारत, पुराण, इतिहास और लोक-कथाओं के दैवी और मानवीय चरित्रों पर आधारित पर्व पूरे देश में मनाए जाते हैं। इन पर्वों में विविधता के साथ-साथ एकरूपता भी दिखाई देती है। मैसुरु दशहरा भारतीय-संस्कृति के गौरव का पर्व भी है।

कर्नाटक में भारत की आध्यात्मिक परंपरा के आदर्श स्थापित होते रहे हैं। यहां जैन तथा बौद्ध परंपरा से जुड़े अनेक प्राचीन स्थल विद्यमान हैं। आदि शंकराचार्य ने शृंगेरी मठ की स्थापना इसी राज्य के इलाके में की थी। गुलबर्गा सूफी सिलसिले का प्रमुख केंद्र रहा है। कर्नाटक में 12th Century में बसवन्ना, अल्लम-प्रभु और अक्का-महादेवी ने भक्ति और समता का आदर्श प्रस्तुत किया। सभी जातियों और वर्गों को एक साथ लाकर बसवन्ना ने अनुभव-मंटपा की स्थापना की और लोकतान्त्रिक पद्धति को अपनाया। अनुभव-मंटपा में, आध्यात्मिक और सामाजिक विषयों पर चर्चा होती थी। उन संतों ने महान भक्ति-काव्य की रचना की जिन्हें "वचन” कहा जाता है। आज से लगभग 900 वर्ष पहले की उस काव्य-धारा में 35 महिला संतों ने योगदान दिया था। आज भी भक्ति-भाव के साथ "वचन” को गाने व सुनने की परंपरा कर्नाटक के लोगों के दैनिक जीवन का हिस्सा है।

इस प्रकार कर्नाटक से भक्ति, समानता, लोकतन्त्र तथा महिला-सशक्तीकरण का ऐतिहासिक आदर्श प्रस्तुत किया गया है। आदि-शक्ति द्वारा महिषासुर, मधु-कैटभ, चंड-मुंड और शुंभ-निशुम्भ जैसे असुरों को परास्त करने की कथाओं में भी महिला-शक्ति का दर्शन होता है। पालन-पोषण करने के लिए महिलाएं - त्याग, ममता, और दया का मूर्तिमान स्वरूप होती हैं। लेकिन अन्याय, अधर्म और अहंकार पर विजय प्राप्त करने के लिए वे दुर्गा, चंडिका और चामुंडा का अवतार भी लेती हैं। महिला के शक्ति-स्वरूप का सम्मान करने की यही भावना आज से आरंभ हो रहे नवरात्रों से जुड़ी नव-दुर्गा की उपासना में व्यक्त होती है। महिलाओं में निहित अदम्य-शक्ति का सम्मान करना ही विजया-दशमी के साथ सम्पन्न हो रहे दशहरा पर्व की मूल भावना भी है। कर्नाटक ने ही रानी अब्बक्का और कित्तूर की रानी चेन्नम्मा जैसी वीरांगनाओं के नेतृत्व में विदेशी शासकों के विरुद्ध संग्राम के आरंभिक उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। वीर-वनिता, ओनके ओबव्वा की गाथा कर्नाटक के जन-मानस को आज भी प्रेरित करती है। महिला सशक्तीकरण की विकास-यात्रा आज के भारत में हमारी बहनों और बेटियों की बहु-आयामी प्रगति में दिखाई दे रही है। लेकिन इस प्रगति को और शक्ति प्रदान करने की आवश्यकता है।

देवियो और सज्जनो,

यह सभी देशवासियों के लिए गर्व की बात है कि मैसुरु दशहरा की यह परंपरा आज भी पूरी जीवन्तता के साथ आगे बढ़ाई जा रही है। इसके लिए मैं राज्य सरकार की सराहना करती हूं। मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई जी ने मुझे इस परंपरा के साथ जुड़ने का आमंत्रण दिया। इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देती हूं।

हाल ही में राज्य के कुछ हिस्सों में लोगों को अधिक बारिश और जल-भराव के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। राज्य सरकार के प्रयासों से इस कठिनाई से मुक्ति के प्रभावी उपाय कार्यान्वित हुए हैं। मुझे विश्वास है कि ऐसी कठिनाइयों से जुड़े और भी सुविचारित उपाय किए जाते रहेंगे।

मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हो रही है कि राज्यपाल श्री थावरचंद गहलोत जी के मार्गदर्शन तथा मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई जी के नेतृत्व में कर्नाटक- निवासी विकास के नए प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं। वित्त-वर्ष 2021-22 के दौरान Hardware और software के क्षेत्र में Total Foreign Direct Investment का 53 per cent यानि आधे से अधिक भाग, कर्नाटक ने आकर्षित किया। यह कर्नाटक की विश्व-व्यापी ख्याति का प्रमाण है। बेंगलुरु को भारत का top start-up-hub माना जाता है। NITI Aayog Sustainable Development Goals - India Index 2020-21 के अनुसार Innovation Index में कर्नाटक देश में प्रथम स्थान पर है। प्राथमिक शिक्षा में कर्नाटक ने 100 per cent enrolment का लक्ष्य हासिल कर लिया है। ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना’ के तहत कर्नाटक ने 100 per cent connectivity का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। इस तरह की अनेक उपलब्धियों से देश को समृद्ध बनाने तथा भारत का गौरव बढ़ाने के लिए मैं कर्नाटक की राज्य सरकार और सभी निवासियों को बधाई देती हूं। साथ ही कर्नाटक के निरंतर विकास के लिए मैं हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं।

धन्यवाद! 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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