भारत की राष्‍ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का श्रीनगर में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में संबोधन (HINDI)

श्रीनगर : 11.10.2023

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माता वैष्णो देवी और हजरतबल की रहमत से महफूज तथा लल्लेश्वरी लल द्येद और नुन्द ऋषि शेख नूरूद्दीन की दुआओं से भरी-पूरी जम्मू-कश्मीर की सरजमीन को मैं सलाम करती हूँ।

राष्ट्रपति के रूप में यह जम्मू-कश्मीर की मेरी पहली यात्रा है। आज जिस गर्मजोशी के साथ आप सबने मेरा स्वागत किया है उसका एहसास मेरे दिल की गहराइयों को छू गया है। इसकी यादें मेरे दिलो-दिमाग में हमेशा बनी रहेंगी। ऐसे स्वागत के लिए मैं लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा जी, उनकी पूरी टीम और जम्मू-कश्मीर के एक करोड़ तीस लाख लोगों का शुक्रिया अदा करती हूं।

आज सवेरे मुझे War Memorial में भारत माता के अमर सपूतों को श्रद्धा-पुष्प अर्पित करने का सौभाग्य मिला। मैं एक बार फिर, सभी देशवासियों की ओर से उन शहीदों की स्मृति को नमन करती हूं। मैं वीर-नारियों के प्रति विशेष आदर व्यक्त करती हूं।

अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाने वाले जम्मू-कश्मीर के लोग यहां मौजूद हैं। आप सब ने इस क्षेत्र का ही नहीं, पूरे देश का मान बढ़ाया है। मैं आप सभी की दिल से तारीफ करती हूँ।

देवियो और सज्जनो,

कश्मीर में लगभग चौदह सौ साल पहले आए ह्वेन सांग ने, लगभग एक हज़ार साल पहले आए अल-बरूनी ने, तथा लगभग साढ़े तीन सौ साल पहले यहां आए फ़्रांसुआ बर्नियर ने कश्मीर की और यहां के लोगों की बहुत तारीफ की है। यहां art, culture और education के बहुत बड़े centres रहे हैं। कश्मीर के बारे में प्राचीन काल में लिखे गए ‘नीलमत पुराण’ में कही गयी एक बात से यहाँ की ancient culture और ऊंची सोच के बारे में जानकारी मिलती है। ‘नीलमत पुराण’ में लिखा है:

श्रोतव्यम् गीतवाद्यम् च  
तथा सेव्यम् च मंगलम्।

अर्थात गीत और साज को सुनना चाहिए तथा नेक काम में लगे रहना चाहिए।

हमारे देश में अदीबों और संतों को, हुक्मरानों से ज्यादा इज्जत देने का रिवाज रहा है। रूहानियत पर ज़ोर देने की वजह से ही हमने पूरी इंसानियत को एक ही कुनबा माना है और ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का रास्ता सब को दिखाया है। कश्मीर की घाटी में रंग-बिरंगे फूल तो होते ही हैं, ये घाटी एक रूहानी गुलदस्ता भी है। करीब दो हज़ार साल पहले, कश्मीर में Fourth Buddhist Council हुई थी जिसके बाद हीनयान और महायान के सिद्धांतों की व्याख्या शुरू हुई। विद्वानों की मान्यता है कि आज से लगभग तेरह सौ साल पहले इसी श्रीनगर में शंकराचार्य ने शक्ति की महिमा का वर्णन करने के लिए सौन्दर्य लहरी तथा आनंद लहरी की रचना की थी। लगभग सात सौ साल पहले के लल द्येद के वाख और शेख नूरूद्दीन की नसीहतों से जो रूहानी रोशनी फैली उसका उजाला इन्सानियत को हमेशा सही राह दिखाता रहेगा। बड शाह जैनुल आबदीन जैसे हुक्मरानों ने अदब और रूहानियत को भी बढ़ावा दिया।

धर्म और साहित्य दोनों क्षेत्रों में अद्भुत योगदान देने वाले कश्मीर के अभिनवगुप्त ने दसवीं सदी में साहित्य का एक बहुत अच्छा सिद्धान्त समझाया था जो ज़िंदगी के हर पहलू के लिए सही साबित होता है। जैसा कि सभी जानते हैं, साहित्य में वीर रस, हास्य रस तथा रौद्र रस जैसे नौ रस माने जाते हैं, जिन्हें नव-रस कहते हैं। अभिनवगुप्त ने यह कहा था कि शांत रस ही सभी रसों का केंद्र या स्रोत है। शांत रस और शांति को सबसे बड़ा मानने की जम्मू-कश्मीर की उस विरासत को लगातार मजबूत बनाना है।

अपनी विरासत के मुताबिक आज का कश्मीर एक नई करवट ले रहा है। तरक्की, अमन-चैन और खुशहाली का एक नया दौर शुरू हुआ है। Infrastructure development, e-governance, health-care, housing, women empowerment, tribal outreach और inclusive development के क्षेत्रों में बहुत बड़े पैमाने पर बदलाव आया है। यह बहुत खुशी की बात है कि इस साल सितंबर तक लगभग एक करोड़ सत्तर लाख tourists जम्मू-कश्मीर आ चुके हैं, जो कि एक record है। मुझे बताया गया है कि जम्मू-कश्मीर में हुई G20 Tourism Working Group की meeting में आए विदेशी प्रतिनिधि बहुत प्रभावित हो कर यहां से गए। उस meeting का कश्मीर सहित पूरे देश के tourism पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। आज मैंने कश्मीर यूनिवर्सिटी के convocation में हिस्सा लिया। वहां मैंने नौजवानों, खासकर हमारी बेटियों में तरक्की का जज्बा देखा। कुछ देर पहले मैंने Self Help Groups की बहनों और Tribal Groups के प्रतिनिधियों से मुलाक़ात की। उनमें भी कुछ अच्छा करने का जोश भरा हुआ है। ऐसे सभी बदलावों के लिए मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को और लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा जी की टीम को बधाई देती हूं।

जम्मू-कश्मीर के लोग अपने योगदान के लिए सराहे जाते हैं। ग़ुलाम नबी आज़ाद जी और मुजफ्फर हुसैन बेग जी जैसे जन-सेवकों को पद्म भूषण से नवाजा गया है। श्री ग़ुलाम मोहम्मद जज को कला के क्षेत्र में और श्री मोहन सिंह को साहित्य तथा शिक्षा के क्षेत्र में वर्ष 2023 के पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित करने का अवसर मुझे मिला। जम्मू-कश्मीर के ऐसे खास लोगों की list बहुत लंबी है।

हमारा देश आजादी के बाद के अमृत काल से गुजर रहा है। वर्ष 2047 तक भारत को developed nation बनाने की ओर जम्मू-कश्मीर के लोग भी उत्साह के साथ आगे बढ़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि शांति, प्रगति और देश-प्रेम के रास्ते पर जम्मू-कश्मीर के लोग हम-कदम हो कर आगे बढ़ते रहेंगे। मैं दिल से दुआ करती हूं कि जिस तरह जाफरान या केसर की खुशबू फैलती है वैसे ही जम्मू-कश्मीर की तरक्की की शोहरत देश-दुनियां में चारों ओर फैले।

धन्यवाद!  
जय हिन्द!  
जय भारत!

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