भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का नागरिक अभिनंदन समारोह के अवसर पर सम्बोधन (HINDI)
गुवाहाटी : 13.10.2022
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आदि-शक्ति मां कामाख्या के आशीर्वाद से सम्पन्न इस पावन भूमि को मैं प्रणाम करती हूं।
भारत माता के परमवीर पुत्र, महानायक लासित बड़फुकन की इस वीर-स्थली को मैं नमन करती हूं।
आज असम के आप सब भाई-बहनों-युवाओं ने अद्भुत उत्साह और स्नेह से परिपूर्ण स्वागत करके मेरे हृदय को छू लिया है। आप सब के असाधारण स्नेह की याद मेरे मन-मस्तिष्क में सदा अंकित रहेगी।ऐसे अनुपम स्वागत के लिए मैं आप सबको हार्दिक धन्यवाद देती हूं।
कल प्रातःकाल मुझे नीलाचल की पवित्र पहाड़ी पर स्थित अति प्राचीन कामाख्या आदि-शक्ति पीठ में जाकर देवी-दर्शन का परम सौभाग्य मिलेगा। वहां मैं देशवासियों की सर्वांगीण प्रगति और कल्याण के लिए,विशेषकर हमारे युवाओं और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रार्थना करूंगी।
देवियो और सज्जनो,
असम के निवासियों में राष्ट्रीयता की भावना बहुत प्रबल रही है। परमवीर, लासित बड़फुकन का ऐतिहासिक कथन आज भी असम के बच्चे-बच्चे को मालूम है। राष्ट्र की रक्षा को सर्वोपरि रखने का उनका आदर्श-वाक्य सभी देशवासियों के लिए प्रेरणा का उत्स है।
उन्होंने कहा था:
"देखोत-कोइ,मोमाइ डांगर न होइ”
अर्थात
‘देश से बढ़कर,मामा नहीं होता है’।
इसी वर्ष, महानायक लासित बड़फुकन की400वीं जयंती मनाई गई है। मुझे बताया गया है कि वर्ष1999में,नेशनल डिफेंस एकेडमी,पुणे द्वारा ‘लासित बड़फुकन स्वर्ण पदक पुरस्कार’ प्रदान करने की परंपरा शुरू की गई। वह पुरस्कार प्रतिवर्ष सर्वश्रेष्ठCadet को दिया जाता है।
मुझे यह भी बताया गया है कि नेशनल डिफेंस एकेडमी के परिसर में लासित बड़फुकन की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। इस प्रकार,भारत के बहादुर सैनिकों के लिए लासितबड़फुकनप्रेरणा-स्रोत बने हुए हैं।
बीसवीं सदी में असम की सांस्कृतिक विभूति, ज्योति प्रसाद अगरवाला जी ने भारत की संस्कृति की महानता का उद्घोष करते हुए एक अमर गीत की रचना की थी। उस गीत का मुखड़ा है:
‘मोरे भारतोरे, मोरे हपोनोरे, सिरो हुन्दोर हंस्कृति’
अर्थात
मेरे भारत की, मेरे सपनों की संस्कृति चिरसुंदर है।
राष्ट्रपति के रूप में असम की अपनी पहली यात्रा में गुवाहाटी आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। गुवाहाटी नगर ब्रह्मपुत्र के आशीर्वाद से सिंचित है। ब्रह्मपुत्र यानि लोहित के इस क्षेत्र में उस लोकप्रिय असमिया प्रार्थना का स्मरण होना स्वाभाविक है,
जिसमें कहा गया है: श्री-लुइत, प्रोनाम कोरो।
इस प्रार्थना का भावार्थ यह है कि ब्रह्मपुत्र को प्रणाम करके,व्यक्ति को गंगा तथा अन्य पवित्र नदियों सहित कई तीर्थ-स्थलों में पूजा करने का पुण्य प्राप्त हो जाता है।
इस यात्रा के द्वारा मुझे भारत की उन महान परम्पराओं और उपलब्धियों से जुड़ने का अवसर मिल रहा है जिनके कारण भारत पूरे विश्व में अग्रणी रहा करता था। ह्वेनसांग और अलबरूनी के यात्रा वृत्तान्तों में प्रागज्योतिषपुर और कामरूप की समुन्नत संस्कृति का उल्लेख मिलता है।
प्रकृति के प्रचुर वरदान से सम्पन्न असम राज्य का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक वैभव भी अत्यंत प्रभावशाली है। श्रीमंत शंकरदेव और माधवदेव जैसी असाधारण विभूतियों ने भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा को समृद्ध किया है तथा समाज को जोड़ने का काम किया है। इस क्षेत्र के बोडो समाज से बहुत कुछ सीखने लायक है। ज्योति प्रसाद अगरवाला, बिष्णु प्रसाद राभा तथा भूपेन हजारिका जैसी अद्भुत प्रतिभाओं ने भारतीय समाज और संस्कृति को अक्षय उपहार दिए हैं।‘आजादी का अमृत महोत्सव’ पूरे देश में मनाया जा रहा है। स्वाधीनता संग्राम और भारत के नवनिर्माण में अमूल्य योगदान देने वाले भारत-रत्न, लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई की स्मृति को सभी देशवासियों की ओर से मैं सादर नमन करती हूं।
देवियो और सज्जनो,
असम में भारत की भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता का इंद्रधनुषी रूप दिखाई देता है। असम का विकास पूरे देश के समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मुझे यह देखकर प्रसन्नता हो रही है किinfrastructureका तेजी से विकास करके असम की और पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुविधाओं को व्यापक और अत्याधुनिक बनाया जा रहा है। इससे लोगों का जीवन सुगम हो रहा है तथा उद्यमों के विकास को नई गति प्राप्त हो रही है।
यह खुशी की बात है कि एक बार फिर असम के लोग नई ऊर्जा के साथ आधुनिक विकास के मार्ग पर तेजी के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इस बदलाव के लिए असम के राज्यपाल, प्रोफेसर जगदीश मुखी जी के कुशल मार्गदर्शन तथा मुख्यमंत्री, डॉक्टर हिमंत बिस्व सरमा जी के ऊर्जावान नेतृत्व की मैं सराहना करती हूं।
अपनी इस यात्रा के दौरान मैंने आज आधुनिक विकास से जुड़ी सुविधाओं तथा सेवाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। कल भी मुझे सामाजिक समावेश और आधुनिकinfrastructureसे जुड़ी परियोजनाओं का उद्घाटन तथा शिलान्यास करने का अवसर मिलेगा। मुझे यह जानकर प्रसन्नता होती है कि असम सहित, पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में सड़कों का तथा रेल सुविधाओं का तेज गति से विकास हो रहा है, inland waterwaysविकसित हो रहे हैं,छोटे-बड़े पुल बनाए जा रहे हैं तथा इस क्षेत्र की देश-विदेश के साथconnectivityबेहतर हो रही है। कुल मिलाकर ये सभी प्रयास असम तथा पूरे भारत के सुदृढ़ भविष्य के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ते हुए कदम हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि असम राज्य और यहां के निवासी देश के स्वर्णिम भविष्य के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान देते रहेंगे।
भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को विशेष प्राथमिकता दी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केंद्र सरकार नेAct East Policyअपनाई है। इस प्रकार, असम सहित,पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों की विशेष भौगोलिक स्थिति का उपयोग करते हुए भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ जोड़ा जा रहा है। इस बदलाव से असम के विकास को अंतरराष्ट्रीय आयाम भी प्राप्त हो रहा है।
असम में पर्यटन उद्योग के विकास की असीम संभावनाएं हैं। ‘मानस’और ‘काजीरंगा’ जैसे मनमोहक स्थलों के कारण असम पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है। वर्तमान केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा पर्यटन के विकास के लिए और अच्छा eco-systemतैयार किया रहा है। इन प्रयासों का परिणाम निकट भविष्य में ही और बड़े पैमाने पर दिखाई देने लगेगा। इस परिवर्तन से यहां के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।
असम के बागानों की चाय देश-विदेश में बहुत पसंद की जाती है। उन बागानों में काम करने वाले परिवारों का कल्याण हमारी प्राथमिकता है। मुझे आप सबसे यह साझा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि कल मुझेTea Garden Areasमें100 Model Secondary Schoolsका शिलान्यास करने का अवसर प्राप्त होगा। इस प्रयास की मैं सराहना करती हूं।
देवियो और सज्जनो,
इस सभागार में यह विचार भी मेरे मन में आता है कि Assam Administrative Staff Collegeअसम के लिएgood governanceकी दिशा मेंchange-agentकी भूमिका निभाएगा। इससे राज्य सरकार की जन-कल्याण तथा विकासपरक गतिविधियों को और अधिक शक्ति प्राप्त होगी।
यह पूरे देश के लिए प्रसन्नता की बात है कि आज असम की जनता प्रगति के नए अध्याय जोड़ रही है। मैं असम के सभी निवासियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देती हूं।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!