भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का PVTGS के कार्यक्रम में सम्बोधन
राष्ट्रपति भवन, दिल्ली : 12.06.2023
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आप सभी जनजातीय भाई-बहनों का राष्ट्रपति भवन परिसर में हार्दिक स्वागत है। यह राष्ट्रपति भवन परिसर सभी देशवासियों का है। इसे आप अपना ही समझिए।
मुझे यह बताया गया है कि आप में से कई भाई-बहन ऐसे हैं जो पहली बार जंगल और गांव से बाहर निकले हैं और शहर में आए हैं। आप सभी से मिलकर मुझे बहुत अधिक खुशी हुई है।
भारत-माता की इंद्रधनुषी संस्कृति में केवल सात रंग नहीं हैं। हजारों रंग हैं। सभी रंग बेहद खूबसूरत हैं। सभी रंगों का महत्व एक समान है। उनमें से 75 रंगों की सुंदरता आज यहां दिखाई दे रही है। हम सबने बहुत अच्छा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखा। मैं सभी कलाकारों को बधाई देती हूं। समय की सीमा के कारण कुछ ही समूहों द्वारा प्रस्तुतियां की गईं। मैं जानती हूं कि सभी जनजातीय भाई-बहनों के जीवन में नृत्य और संगीत सहज रूप से रचा-बसा है।
मैं विभिन्न राज्यों की अपनी यात्राओं के दौरान PVTG समुदाय के लोगों, विशेषकर बहनों, से मिलने का प्रयास अवश्य करती हूं। उनसे बातचीत करती हूं। उनके मुद्दों को समझती हूं। आज मुझे यह देखकर विशेष प्रसन्नता हो रही है कि सभी 75 Particularly Vulnerable Tribal Groups के भाई-बहन यहां एक साथ आए हैं। यह इस प्रकार का पहला सम्मेलन है। इस सम्मेलन के आयोजन तथा सभी PVTG समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मैं केंद्र सरकार में जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा जी और उनके मंत्रालय की पूरी टीम की सराहना करती हूं। मुझे बताया गया है कि Liaison Officers ने बहुत परिश्रम किया है। मैं उनकी सराहना करती हूं। साथ ही, सम्बद्ध राज्य सरकारों की भी उनके योगदान के लिए मैं प्रशंसा करती हूं। मुझे बताया गया है कि केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा प्रत्येक PVTG के लिए एक Dedicated Nodal Officer की तैनाती की गयी है जो उनके क्षेत्रों में जाकर उनसे जुड़े विशेष मुद्दों को समझने और उनका समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह पहल बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
PVTG शब्द का प्रयोग तो केवल 50 वर्ष पूर्व शुरू किया गया, लेकिन, ये समुदाय प्राचीन काल से अस्तित्व में रहे हैं। मैं यह कहना चाहूंगी कि आज के इस समारोह में भारत-माता की सबसे पुरानी परम्पराओं के लोग भारत के लोकतन्त्र के इस प्रमुख परिसर में एकत्र हुए हैं। यह हमारे लोकतन्त्र की सबसे पुरानी और जीवंत जड़ों से जुड़ने का समारोह भी है।
देवियो और सज्जनो,
Tribal Sub-Plan के तहत भारत सरकार के 41 मंत्रालय एवं विभाग, PVTG सहित जनजातीय समुदायों के कल्याण हेतु अपने बजट का अंश साझा करते हैं। लेकिन, कुछ कारणों से PVTGs को उन प्रयासों का लाभ पर्याप्त रूप से नहीं मिल पाया है। इसलिए वर्तमान सरकार ने एक विशेष अभियान शुरू किया है। स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में सभी देशवासी 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' मना रहे हैं। यह विशेष प्रसन्नता की बात है कि सभी 75 PVTGs के विकास हेतु केंद्र सरकार द्वारा वर्तमान बजट में 'प्रधानमंत्री PVTG Development Mission' प्रारम्भ किया गया है।
इस अभियान के तहत अगले तीन वर्षों में तेजी से काम किया जाना है। मैं आशा करती हूं कि 'अमृत-काल' के इस आरंभिक दौर में PVTGs को बेहतर सुविधाएं तथा अवसर प्रदान किए जा सकेंगे। यह भारत-माता की इन विशेष संतानों के प्रति पूरे देश का कर्तव्य है।
वर्तमान वित्त वर्ष के बजट में ही वर्ष 2047 तक Sickle Cell Anemia को पूरी तरह समाप्त करने के अभियान को शुरू करने की घोषणा की गई है। यह एक अत्यंत कल्याणकारी और महत्वपूर्ण अभियान है। मैं इस अभियान की सफलता की कामना करती हूं।
हालांकि अलग-अलग PVTG की आबादी में बहुत फर्क है और विभिन्न राज्यों में उनकी जनसंख्या में भी समानता नहीं है, यह कहा जा सकता है कि यहां उपस्थित 1500 PVTG भाई-बहनों में से हर व्यक्ति अपने समुदायों के अन्य लोगों का प्रतिनिधि है। मैं चाहूंगी कि आप सब जब अपने स्थान पर वापस जाएं तो अपने समूह के लोगों को जानकारी दें, उन्हें समझाएं, उन्हें प्रेरणा दें। आप उन्हें सरकारी सहायताओं के बारे में बताएं।
मैं आप सबसे यह आग्रह करती हूं कि शिक्षा को सबसे अधिक महत्व दीजिए। Eklavya Model Residential Schools में PVTG समुदाय के विद्यार्थियों के लिए सीटों का विशेष प्रावधान किया गया है। इसके अलावा National Fellowship तथा Overseas Scholarship Scheme में भी PVTGs विद्यार्थियों के लिए सीटें आरक्षित हैं।
PVTG बहनों से मैं आग्रह करूंगी कि आदिवासी महिला सशक्तीकरण योजना सहित सभी योजनाओं का समुचित लाभ उठाएं और अपने जीवन में आगे बढ़ें। पिछले कुछ वर्षों से, जनजातीय समुदाय के प्रतिभाशाली लोगों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावशाली योगदान के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों, यानि पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जा रहा है। यह और भी प्रसन्नता की बात है कि पुरस्कार विजेताओं में जनजातीय बहनें भी शामिल हैं। मुझे उन भाई-बहनों को पुरस्कार देते हुए विशेष प्रसन्नता का अनुभव होता है। मैं चाहती हूं कि लगभग 28 लाख PVTG समाज के लोगों सहित 10 करोड़ से अधिक जनजातीय समाज के लोग अपनी प्रतिभा का विकास करें और समाज तथा देश के लिए अपना भरपूर योगदान दें।
वर्ष 2021 से प्रतिवर्ष 15 नवंबर के दिन 'जनजातीय गौरव दिवस' मनाने की शुरुआत की गई है। इस उत्सव से सभी जनजातीय समुदायों को एक-दूसरे के साथ भावनात्मक स्तर पर जुड़ने का एक अच्छा अवसर मिलता है। मुझे विश्वास है कि इस गौरव दिवस को मनाने की परंपरा निरंतर मजबूत होती जाएगी।
देवियो और सज्जनो,
सभी देशवासी यह मानते हैं कि जनजातीय समाज के लोगों ने मातृभूमि तथा उसकी प्राकृतिक और सांस्कृतिक संपदा की रक्षा के लिए बहुत बलिदान दिया है। आधुनिक विश्व के Sustainable Development के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी देशवासी जनजातीय समाज से शिक्षा ले सकते हैं। अपनी अस्मिता को बनाए रखते हुए, अपने अस्तित्व को सुरक्षित रखते हुए, अपने विकास को सुनिश्चित करना सभी देशवासियों, विशेषकर PVTG सहित सभी जनजातीय लोगों का कर्तव्य भी है और आकांक्षा भी। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे देश की समावेशी विकास की यात्रा में PVTG भाई-बहन, युवा और बच्चे निरंतर आगे बढ़ेंगे।
जय हिन्द!
जय भारत!