भारत की माननीया राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का UCO बैंक की सेवा के 80 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संबोधन (HINDI)

कोलकाता : 28.03.2023

डाउनलोड : भाषण (113.7 किलोबाइट)

यूको बैंक के 80 वर्ष पूरे होने से जुड़े उत्सव में आज यहां उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। इस उपलब्धि के लिए यूको बैंक परिवार के सभी पूर्व और वर्तमान सदस्यों को मैं बधाई देती हूं।

आज जब हम इस अवसर पर एकत्र हुए हैं तो मुझे दूरद्रष्टा उद्यमी श्री घनश्यामदास बिड़ला जी का स्मरण हो आता है, जिन्होंने जनता की सेवा करने के कल्याणकारी मिशन के साथ इस बैंक की स्थापना की थी। मैं इस बैंक के सभी पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों की कड़ी मेहनत और समर्पण की प्रशंसा करती हूं। यह सभी ग्राहकों की निष्ठा और सहयोग की भी सराहना करने का अवसर है, जिन्होंने वर्षों से इस बैंक में अपना विश्वास बनाए रखा है।

वर्ष 1943 में स्थापित यूको बैंक, बैंकिंग क्षेत्र में अग्रणी और पथ-प्रदर्शक रहा है। इस बैंक ने कृषि, उद्योग, व्यापार, infrastructure और सामाजिक-कल्याण जैसे विभिन्न क्षेत्रों को ऋण और वित्तीय सेवाएं प्रदान करके हमारे देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यूको बैंक ने सरकार की अनेक योजनाओं और initiatives जैसे जन-धन योजना, मुद्रा योजना, किसान सम्मान निधि योजना तथा अटल पेंशन योजना में सहयोग करके देश की प्रगति में योगदान दिया है।

यूको बैंक ने बैंकिंग क्षेत्र की चुनौतियों और विकासशील वातावरण में अपनी स्थिति को बनाए रखा है तथा परिस्थितियों के अनुसार अपने को ढाला है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि बैंक ने अपनी कार्य-क्षमता, ग्राहक-सेवा और profitability में वृद्धि करने के लिए technology और innovation को अपनाया है।

मुझे बताया गया है कि यूको बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के उन बैंकों में शामिल है, जिन्होंने निर्बाध डिजिटल लेन-देन सुनिश्चित करने के लिए Sound Box और QR Code की सुविधा लागू करने की पहल की। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि यूको बैंक की कुछ digital initiatives को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा पुरस्कृत भी किया गया है।

देवियो और सज्जनो,

बैंकों की दो मूलभूत जिम्मेदारियां होती हैं। पहली जिम्मेदारी यह है कि उन्हें जनता के पैसे के संरक्षक के रूप में कार्य करना है। उनकी दूसरी जिम्मेदारी यह है कि उन्हें वर्तमान की बचत-निधियों का उपयोग भविष्य के लिए asset creation हेतु करना है। इन दोनों जिम्मेदारियों को संतुलित रूप से निभाना हर बैंक के लिए एक चुनौती है। कभी-कभी इन दोनों के बीच संतुलन बिगड़ जाने के कारण विश्व के विभिन्न भागों में चिंताजनक आर्थिक स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं। सभी बैंक उन लाखों लोगों के विश्वास को बनाए रखने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं जो बैंकों में अपनी बचत की राशि रखते हैं। मुझे विश्वास है कि यूको बैंक का professional स्टाफ और सतर्क नेतृत्व इन जिम्मेदारियों का प्रभावी रूप से निर्वहन करेगा।

देवियो और सज्जनो,

फिन-टेक, से वित्तीय प्रबंधन का तरीका बदल रहा है। भारत में गरीबों द्वारा तथा दूरस्थ क्षेत्रों में फिन-टेक का उपयोग इस बात का प्रमाण है कि भारत की जनता ऐसी तकनीक को खुले मन से अपनाती है जो उसे सशक्त बनाती है। इससे सामाजिक न्याय के लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ना भी संभव हो पाता है। आज के समय में, UPI को पूरे विश्व में सबसे सफल फिन-टेक innovations में से एक माना जाता है। ‘डिजिटल इंडिया मिशन’, प्रभावी और पारदर्शी जन-सेवा के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ बनाने में बहुत सहायक रहा है। महामारी के दौरान सरकार ने करोड़ो लाभार्थियों को सीधे उनके खाते में धनराशि भेजी है।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि यूको बैंक की पूरे देश में 3000 से अधिक शाखाएं हैं। बैंक द्वारा सिंगापुर और हांगकांग के दो प्रमुख वित्तीय केन्द्रों में भी शाखाएं और प्रतिनिधि कार्यालय खोले गए हैं। मुझे आज विभिन्न राज्यों में स्थित, यूको बैंक की 50 शाखाओं का उद्घाटन करके प्रसन्नता हुई है। मैं, श्री अरबिंदो इन्टीग्रल एजुकेशन और अनुसंधान केन्द्र रायरंगपुर, उड़ीसा के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू करने के लिए, यूको बैंक के CSR initiative की सराहना करती हूं। एक अध्यापक के रूप में जो समय मैंने वहां बिताया, वह मुझे सदैव याद रहता है।

देवियो और सज्जनो

मुझे विश्वास है कि यूको बैंक अपनी विरासत और साख को भविष्य में भी बनाये रखेगा। मुझे पूरी उम्मीद है कि यह बैंक, बदलाव और नवाचार को अपनाते हुए भी अपने मूलभूत मूल्यों और सिद्धांतों के प्रति निष्ठावान रहेगा। मैं, यूको बैंक की टीम को, आगामी योजनाओं के लिए शुभकामनाएं देती हूं। साथ ही, मैं सभी stakeholders से सहकारिता और सहयोग की भावना से एक साथ मिलकर कार्य करने का आग्रह करती हूं जिससे यह बैंक सफलता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचे।

धन्यवाद, 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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