भारत की माननीया राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का तिरुवनंतपुरम में नागरिक अभिनंदन समारोह के अवसर पर संबोधन।

तिरुवनंतपुरम : 17.03.2023

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मैं, देश के समग्र विकास और विश्व में देश की अच्छी छवि प्रस्तुत करने में केरल के योगदान के लिए यहाँ की जनता की प्रशंसा करती हूं।

भारत की राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद केरल की मेरी यह पहली यात्रा है। आप सभी के द्वारा गर्मजोशी से किए गए स्वागत और स्नेह की यादें हमेशा मेरे साथ बनी रहेंगी।

केरल को प्रगति और समृद्धि की राह पर आगे बढ़ाने के लिए मैं केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान साहब और केरल के मुख्यमंत्री श्री पिनाराई विजयन जी की प्रशंसा करती हूं। मुझे यहाँ आमंत्रित करने और केरल के लोगों की ओर से इस नागरिक अभिनंदन का आयोजन करने के लिए मैं आप दोनों का धन्यवाद करती हूं।

मैं, सौभाग्यशाली हूँ की मेरा भगवान विष्णु के निवास तिरुवनंतपुरम में आना हुआ है। केरल के हरे-भरे जंगल, खूबसूरत समुद्र तट और बैकवाटर, आकर्षक पहाड़ियां, सुंदर झीलें, कल-कल करती नदियां, लहराते नारियल के वृक्ष और समृद्ध जैव विविधता को देखकर यह 'परमात्मा का प्रदेश' लगता है। यही कारण है कि केरल सबसे आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक है। यह विशेष रूप से प्राकृतिक-उपचार और आयुर्वेद पर आधारित स्वास्थ्य रिसॉर्ट्स का एक प्रमुख केंद्र भी है। केरल के प्रतिभाशाली और मेहनती लोगों ने अपनी ईमानदारी, कौशल और उद्यमिता से विश्व में सम्मान अर्जित किया है। मैं अत्यधिक सम्मानित मलयाली डायस्पोरा के माध्यम से भारत का गौरव बढ़ाने के लिए केरल के लोगों की सराहना करती हूं।

केरल के लोगों के महानगरीय दृष्टिकोण का अनुकरण किया जाना चाहिए। सुंदर राज्य केरल की भाषा और संस्कृति से जुड़े हुए सभी पंथों और धर्मों के लोग सद्भाव से एक साथ रह रहे हैं।

देवियो और सज्जनो,

केरल जगद्गुरु आदि शंकराचार्य की भूमि है। केरल में, श्री नारायण गुरु, चट्टम्बी स्वामीगल, अय्यंकाली, पोयकायिल अप्पाच्चन और वी.टी. भट्टत्रिपद जैसे संतों और सुधारकों से प्रेरित आध्यात्मिकता और समावेश की विभिन्न धाराएँ बहती हैं।

केरल बहुत से दिग्गजों की भूमि रही है। स्वर्गीय श्री के.आर. नारायणन, राष्ट्रपति भवन में मेरे विशिष्ट पूर्ववर्ती केरल के ही सपूत थे। स्वर्गीय श्री ई.एम.एस. नंबूदरीपाद, श्री आर. शंकर, श्री सी. अच्युत मेनन, श्री के. करुणाकरन, श्री ई.के. नयनार और श्रीमती के.आर. गौरी अम्मा केरल की समृद्ध राजनीतिक विरासत का हिस्सा रहे हैं।

आधुनिक भारतीय साहित्य में जी. शंकर कुरुप, वैकोम मुहम्मद बशीर, एस.के. पोट्टेकट, तकाशी शिवशंकर पिल्लई, एम.टी. वासुदेवन नायर, ओ.वी. विजयन, ओ.एन.वी. कुरुप और अक्कितम अच्युतन नंबूदरी जैसी महान हस्तियों का बड़ा योगदान रहा है।

केरल में वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास के लिए कई अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान की गई हैं। केरल के ही 'मेट्रो मैन' श्री ई. श्रीधरन, 'मिसाइल वुमन' श्रीमती टेसी थॉमस और प्रख्यात भौतिक विज्ञानी श्री तनु पद्मनाभन विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्टता के प्रसिद्ध उदाहरण हैं।

देवियो और सज्जनो,

इतिहास के विभिन्न कालखंडों में केरल के प्रत्येक सामाजिक क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण के जाने-माने आदर्श रहे हैं। उनियारचा ने मार्शल आर्ट के माध्यम से स्वावलंबन का एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया था। वह केरल की लोककथाओं में अमर हो गई हैं। नंगेली ने दलित महिलाओं के कपड़ो सहित उन पर थोपी गई अनुचित प्रथाओं के विरोध में अपने जीवन का बलिदान कर दिया था वे सामाजिक प्रतिष्ठा और न्याय के लिए लड़ने वालों को पीढ़ियों तक प्रेरित करती रहेंगी।

हमारी संविधान सभा में 15 महिला सदस्य थीं। उनमें से तीन केरल से ही थी। अम्मू स्वामीनाथन, दक्षयनी वेलायुधन और एनी मस्कारीन भविष्य की सोचने वाली महिलाएं थीं। दक्षयनी वेलायुधन संविधान सभा के लिए चुनी गई एकमात्र दलित महिला थीं।

भारत में उच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनने वाली पहली महिला न्यायमूर्ति अन्ना चांडी थीं। वह वर्ष 1956 में केरल के उच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनीं, जो वर्ष 1965 में डेम एलिजाबेथ लेन के ब्रिटेन में उच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश बनने से बहुत पहले न्यायाधीश बन गईं थी। न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी भारत के उच्चतम न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश बनी और कानून के क्षेत्र में इतिहास रचा। कार्तियानी अम्मा वर्ष 2018 में 96 साल की उम्र में अक्षर-लक्ष्म योजना के तहत पहली रैंक हासिल कर राष्ट्रीय आइकन बन गई हैं। अम्मा अपने संदेश से सभी को प्रेरणा देती हैं कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। मुझे नानचियम्मा को सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान करने का अवसर प्राप्त हुआ। एक आदिवासी महिला नानचियम्मा ने देश की हर महिला को विशेष रूप से हमारे समाज के वंचित वर्गों की महिलाओं को प्रेरणा दी है। इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर केरल ने 'नारी-शक्ति' की झांकी प्रदर्शित की थी और इसने मुझे बहुत प्रभावित किया। 'पय्योली एक्सप्रेस' पी.टी. उषा लड़कियों की पीढ़ियों के लिए खेलों को करियर के रूप में अपनाने और भारत का गौरव बढ़ाने की प्रेरणा रही हैं।

केरल का महिला-पुरुष अनुपात देश में अब तक सबसे अच्छा है। केरल में महिला साक्षरता सहित उच्चतम साक्षरता दर है। मातृ स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और शिशु मृत्यु दर को रोकने के मानकों पर केरल की स्थिति देश में सबसे अच्छी है। मेरा मानना ​​है कि जिस समाज में महिलाओं को महत्व दिया

जाता है तो वह समाज बेहतर प्रगति करता है। केरल में महिलाएं अधिक शिक्षित और सशक्त हैं और यह मानव विकास सूचकांकों पर केरल के बेहतर प्रदर्शन से पता चलता है।

केरल में महिला सशक्तिकरण की उन्नत परंपराओं पर चलते हुए 'कुदुम्बश्री' दुनिया में महिलाओं के सबसे बड़े स्वयं सहायता नेटवर्कों में से एक बन गया है। मैं इस नागरिक अभिनंदन समारोह में कुदुम्बश्री के रजत जयंती समारोह के उद्घाटन के आयोजन के लिए केरल सरकार का धन्यवाद करती हूं। यह भारत- रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के विजन और संवेदनशीलता को कृतज्ञतापूर्वक याद करने का अवसर भी है, जिन्होंने वर्ष 1998 में जब वे प्रधान मंत्री थे, कुदुम्बश्री का शुभारंभ किया था।

मुझे केरल के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के निवासियों के विकास के लिए यहां शुरू किए गए कार्यक्रम 'उन्नति' से जुड़कर प्रसन्नता हो रही है। 'उन्नति' या 'केरल एम्पावरमेंट सोसाइटी' का उद्देश्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है। मैं कामना करती हूं कि यह पहल समावेशी विकास के प्रयासों में पूरी तरह सफल हो। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका और बुनियादी ढांचे से जुड़े विकास क्षेत्रों में सहायक पहलों के माध्यम से राज्य में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण को उच्च प्राथमिकता दी जाती है।

देवियो और सज्जनो,

मेरा मानना ​​है कि भारतीय भाषाएं ज्ञान सृजन के लिए अधिक सहायक हैं। इसलिए मुझे बहुत खुशी है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत भारतीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने की सिफारिश को केंद्र और राज्यों की सरकारों और शिक्षण संस्थानों द्वारा लागू किया जा रहा है। इस संदर्भ में, मैं मलयालम में अनुदित तकनीकी, इंजीनियरिंग और डिप्लोमा पुस्तकों के पहले बैच के विमोचन की प्रशंसा करती हूं। भारतीय भाषाओं में शिक्षा प्रदान करने का यह बदलाव स्वागत योग्य है। मुझे विश्वास है कि निकट भविष्य में पेशेवर और व्यावसायिक शिक्षा के लिए पुस्तकें मूल रूप से मलयालम में लिखी जाएंगी।

यूनेस्को के ग्लोबल नेटवर्क ऑफ लर्निंग में तीन भारतीय शहरों में से दो त्रिशूर और नीलांबुर हैं। केरल ने समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखा है।

मुझे विश्वास है कि अमृत-काल में केरल के शिक्षित और समर्पित युवा भारत को एक विकसित देश बनाने में बहुत बड़ा योगदान देंगे। भारत और केरल का भविष्य सुनहरा हो, इसी विश्वास के साथ मैं अपनी बात को विराम देती हूं।

धन्यवाद! 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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