भारत की माननीया राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का आईएनएस द्रोणाचार्य को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान करने के अवसर पर संबोधन

कोच्चि : 16.03.2023

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मुझे प्रसन्नता है कि भारत की राष्ट्रपति के रूप में केरल की मेरी पहली यात्रा पर मेरा भारतीय नौसेना के एक प्रमुख तोपखाना प्रशिक्षण प्रतिष्ठान आईएनएस द्रोणाचार्य को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान करने के लिए कोच्चि आना हुआ।

सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में, मुझे युद्ध और शांति दोनों में राष्ट्र की असाधारण सेवा करने पर आईएनएस द्रोणाचार्य को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान करने में प्रसन्नता हो रही है।

मैं आज आपकी प्रभावशाली उपस्थिति और समन्वित ड्रिल प्रदर्शन के लिए सभी कर्मियों को बधाई देती हूं। इससे पता चलता है की आप सभी को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।

मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि प्रशिक्षण स्कूल द्वारा यह आयोजन राष्ट्र को समर्पित अपनी सेवा के 80 वर्ष पूरे करने के अवसर पर किया जा रहा है। यह संस्थान अंतरराष्ट्रीय ख्याति का प्रशिक्षण प्रतिष्ठान है और गनरी और मिसाइल युद्ध में उत्कृष्टता का केंद्र है।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि आईएनएस द्रोणाचार्य में अर्धसैनिक और पुलिस बलों के कर्मियों को भी प्रशिक्षित किया गया है। इसके अलावा, इस संस्थान ने हमारे मित्र देशों के अधिकारियों और नाविकों को भी प्रशिक्षण देकर एक सुरक्षित समुद्री क्षेत्र के लिए भारत के दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया है।

मैं इस संस्थान के alumni और पूर्व और वर्तमान कर्मियों को, जिन्होंने इस संस्थान में सेवा दी है या प्रशिक्षण प्राप्त किया है, उन्हें कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए बधाई देती हूं। मुझे बताया गया है कि वर्तमान नौसेनाध्यक्ष एडमिरल हरि कुमार भी इस स्कूल के प्रतिष्ठित पूर्व alumnus हैं।

देवियो और सज्जनों,

भारत के राष्ट्रपति के रूप में नौसेना establishment की यह मेरी दूसरी यात्रा है। मुझे अपने बहादुर नौसेना कर्मियों के साथ विशाखापत्तनम में नौसेना दिवस समारोह में भाग लेने का अवसर मिला। मैंने भारतीय नौसेना के ऑपरेशनल प्रदर्शन को भी देखा। इसने किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए नौसेना की तैयारी तथा प्रशिक्षण और परिचालन उत्कृष्टता में इसकी रुचि का प्रदर्शन किया। आज, दक्षिणी नौसेना कमान में, मुझे सभी खतरों से देश की रक्षा करने और हमारे समुद्री हितों की रक्षा करने के जज्बे की भी झलक मिली।

यहां आने से पहले मुझे आईएनएस विक्रांत पर जाने और वहां अधिकारियों और नाविकों से बातचीत करने का भी अवसर मिला था। भारत में निर्मित आधुनिक विमान वाहक आईएनएस विक्रांत आत्मनिर्भर भारत का एक प्रसिद्ध उदाहरण है। आज भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है जिनके पास स्वदेशी तकनीक से विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता है। मैं भारतीय नौसेना की पूरी टीम, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड और आईएनएस विक्रांत से जुड़े सभी लोगों को बधाई देती हूं। मुझे गर्व है की भारतीय नौसेना के बहादुर पुरुष और महिलाएं उत्कृष्टता और समर्पण के साथ देश की सेवा कर रहे हैं।

देवियो और सज्जनों,

भारत का एक समृद्ध समुद्री ताकत का इतिहास रहा है। भारत की समुद्री ताकत भारत के सामरिक, सैन्य, आर्थिक और वाणिज्यिक हितों के लिए सदा महत्वपूर्ण रही है।

भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत का एक लंबा तटक्षेत्र, द्वीपीय भूभाग और एक बड़ी समुद्री आबादी है इसलिए एक मजबूत और आधुनिक नौसेना बहुत अधिक महत्व रखती है। पिछले 75 वर्षों से युद्ध के लिए तत्पर, बहु-आयामी और बहुमुखी भारतीय नौसेना से हमारे विरोधी भय खाते हैं और यह लगातार हमारे समुद्री हितों की रक्षा करती आ रही है और इसने सामाजिक-आर्थिक विकास सुविधाजनक बनाने के लिए एक शांतिपूर्ण वातावरण का निर्माण भी किया है। राष्ट्र को, हमारी समुद्री सीमाओं की रक्षा करने, हमारे व्यापार मार्गों को सुरक्षित रखने और आपदा के समय सहायता प्रदान करने में भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता पर गर्व है।

वर्षों में भारतीय नौसेना ने महत्वपूर्ण क्षमताओं का विकास किया है और हिंद महासागर क्षेत्र में मिशन के लिए तैनात और जवाब के लिए तत्पर बल बनी है तथा हमारे समुद्री पड़ोस में किसी भी आकस्मिकता के लिए 'फ़र्स्ट रेस्पोंडर' के रूप में खुद को तैयार किया है। इसलिए राष्ट्र को समुद्री 
हितों की रक्षा के लिए नौसेना पर भरोसा है। हमारे 'सफ़ेद वर्दी वाली महिलाओं और पुरुषों' को नवीनतम प्रौद्योगिकी प्रगति के साथ-साथ समुद्री क्षेत्र में बदलती परिचालन गतिशीलता के साथ खुद को updated रखना होगा।

अंत में, मैं आईएनएस द्रोणाचार्य के अधिकारियों और कर्मियों के सफल भविष्य की कामना करती हूं। आप सभी को और आप सभी के परिवारों को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद। 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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