भारत की राष्ट्रपति दून विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं

राष्ट्रपति भवन : 09.12.2022

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 9 दिसंबर,2022 को देहरादून में दून विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी देश की प्रगति उसके मानव संसाधन की गुणवत्ता पर निर्भर होती है और मानव संसाधन की गुणवत्ता शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। उन्होंने दून विश्वविद्यालय से 'आज का युवा कल का भविष्य है' के सूत्र वाक्य को अंगीकार करते हुए गुणवत्तापरक मानव संसाधन तैयार करने की दिशा में कार्यरत रहने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि दून विश्वविद्यालय राज्य का एकमात्र संस्थान है जहां विद्यार्थियों को पांच विदेशी भाषाएं-चाइनीज, स्पेनिश, जर्मन, जापानी और फ्रेंच पढ़ाई जाती हैं। विद्यार्थी यहां तीन स्थानीय भाषाओं - गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी का भी अध्ययन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषाओं के अध्ययन को प्रोत्साहित करना हमारी लोक संस्कृति के संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है। लोक भाषाएं हमारी संस्कृति की अमूर्त धरोहर हैं। विश्‍वविद्यालय को इस पहल को आगे बढ़ाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि एनटीपीसी के सहयोग से दून विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी चेयर स्थापित की गई है जो राज्य के विकास के लिए नीति-निर्माण और क्षमता विकास के लिए समर्पित है। राज्य के भौगोलिक, पारिस्थितिक, आर्थिक और सामाजिक विकास से संबंधित विभिन्न विषयों के शोध और अध्ययन के लिए डॉ. नित्यानंद हिमालयी रिसर्च एंड स्टडीज सेंटर भी स्थापित किया गया है। उन्होंने इन प्रयासों के लिए विश्वविद्यालय की प्रशंसा की।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दियाजाना चाहिए ताकि विद्यार्थी तकनीकी कौशल से और अधिक सम्पन्न हों और स्‍वयं रोजगार की तलाश करने के बजाए दूसरों को रोजगार उपलब्‍ध करवाएं।

राष्ट्रपति ने आज के दीक्षांत समारोह में लड़कियों को 36 में से 23 गोल्ड मेडल और 16 में से 8 पीएचडी की डिग्री मिलने की ओर इशारा करते हुए कहा कि इससे सिद्ध होता है कि दून विश्वविद्यालय में महिलाओं की शिक्षा के पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं और यह लड़कियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि, उनकी राय में, जब हमारी बेटियाँ विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) जैसे विषयों में अधिक उत्कृष्टता प्राप्त करेंगी, तो महिला सशक्तिकरण की प्रक्रिया को और बल मिलेगा। उनके पास एसटीईएम में उत्कृष्टता के आधार पर करियर बनाने के अनेक अवसर उपलब्ध होंगे।

स्नातक उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि डिग्री मिलने के बाद उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। राष्ट्रपति ने उन्हें सलाह दी कि वे जिस भी क्षेत्र में जाएं ईमानदारी से और अपनी क्षमता के अनुसार सर्वोत्‍तम रूप से काम करें। उन्होंने कहा कि तभी उनकी शिक्षा सार्थक होगी और वे अपने ज्ञान से समाज और देश को लाभान्वित कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि निरंतर और तेजी से बदलाव के समय में भारत आत्म-निर्भरता के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है और इसके लिए देश को राष्ट्र निर्माण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और समर्पण की आवश्यकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वे आने वाले समय में पूरे निष्ठा से इस राष्ट्रीय अपेक्षा को पूरा करेंगे।

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