भारत की राष्ट्रपति ने केशव मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी, हैदराबाद के छात्रों और संकाय सदस्यों को संबोधित किया

राष्ट्रपति भवन : 27.12.2022

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज 27 दिसंबर, 2022 को हैदराबाद में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आयोजित एक समारोह में केशव मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी के छात्रों और संकाय सदस्यों को संबोधित किया। उन्होंने क्षेत्रीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को दिखाने वाले 'हैदराबाद लिबरेशन मूवमेंट' पर एक फोटो प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा की नींव पर राष्ट्र का निर्माण होता है। यह हर व्यक्ति की पूरी क्षमता को अनलॉक करने की कुंजी है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि केशव मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी की गतिविधियाँ कई गुना बढ़ गई हैं, वर्ष 1940 में एक छोटे से स्कूल से आरंभ होकर अब यह नौ अलग-अलग कॉलेजों वाला एक प्रमुख शैक्षिक केंद्र बन गया है, जिसमें 11,000 से अधिक छात्र नामांकित हैं। उन्होंने कहा कि सोसाइटी का यह विकास न्यायमूर्ति केशव राव कोराटकर के आदर्शों को श्रद्धांजलि स्वरूप है, जिनकी स्मृति में सोसाइटी की स्थापना की गई है।

यह देखते हुए कि हैदराबाद मुक्ति की 75वीं वर्षगांठ का समारोह 'आजादी के अमृत महोत्सव' के हिस्से के रूप में आयोजित किया जा रहा है, राष्ट्रपति ने कहा कि यह इस क्षेत्र के लोगों और समग्र रूप से पूरे देश के लिए बहुत महत्व रखता है। उन्होंने हैदराबाद की मुक्ति के लिए लड़ने वाले बहादुर नेताओं रामजी गोंड, तुर्रेबाज़ खान, कोमाराम भीम, सुरवरम प्रताप रेड्डी और शोयाबुल्ला खान को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि उनकी वीरता और बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा और उनका सम्मान किया जाएगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि जब हम ऐतिहासिक उपलब्धि, आजादी का अमृत महोत्सव का जश्न मना रहे हैं, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारी स्वतंत्रता केवल अतीत के दमनकारी शासकों से मुक्ति के संबंध में नहीं है, यह आज उठाए गए सुविचारित कदमों के माध्यम से उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने के संबंध में भी है। जब हम भविष्य की तरफ बढ़ते हैं तो यह सुनिश्चित करना भारत के युवाओं पर निर्भर है कि हम अपने पूर्वजों द्वारा किए गए कार्यों के आधार पर आगे बढ़ें और अपने राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। इसका अर्थ है कड़ी मेहनत करें और हम जो करें वह उत्कृष्टता के साथ करें। इसका मतलब ऐसे जिम्मेदार और प्रतिबद्ध नागरिक बनना है, जो समाज की बेहतरी के लिए योगदान दे सकें। इसका अर्थ है संविधान के मूल्यों और आदर्शों को बनाए रखना और अधिक समावेशी और न्यायसंगत समाज बनाने की दिशा में काम करना। इसका अर्थ है जलवायु परिवर्तन से निपटना और पृथ्वी को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित बनाना।

पढ़ने के महत्व पर जोर देते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि पढ़ने की आदत आत्म-विकास के सबसे प्रभावी साधनों में से एक है। यह कौशल जीवन भर छात्रों के काम आएगा। उन्होंने कहा कि यह इंटरनेट और सोशल मीडिया का युग है और ध्यान से पढ़ने की अवधि अब कम होती जा रही है तथा बातचीत का दायरा अक्षरों तक सिमट गया है। उन्होंने छात्रों से अपनी समझ का दायरा बढ़ाने और अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाने के लिए अधिक से अधिक पढ़ने पर ज़ोर दिया।

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.