भारत की राष्ट्रपति ने ब्रह्माकुमारी द्वारा आयोजित 'राइज-राइजिंग इंडिया थ्रू स्पिरिचुअल एम्पावरमेंट' पर राष्ट्रीय अभियान के शुभारंभ की शोभा बढ़ाई; ब्रह्माकुमारी साइलेंस रिट्रीट सेंटर, सिकंदराबाद का वर्चुअल उद्घाटन किया और इंदौर में ब्रह्माकुमारी ऑडिटोरियम औ

राष्ट्रपति भवन : 03.01.2023

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज 3 जनवरी, 2023 को माउंट आबू, राजस्थान में ब्रह्माकुमारी द्वारा आयोजित 'राइज-राइजिंग इंडिया थ्रू स्पिरिचुअल एम्पावरमेंट' पर राष्ट्रीय अभियान के शुभारंभ की शोभा बढ़ाई। उन्होंने ब्रह्माकुमारी साइलेंस रिट्रीट सेंटर, सिकंदराबाद, तेलंगाना का वर्चुअल उद्घाटन किया और इंदौर, मध्य प्रदेश में ब्रह्माकुमारी ऑडिटोरियम और आध्यात्मिक कला दीर्घा की आधारशिला रखी।

सभा को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्थान के साथ उनका गहरा संबंध रहा है। उन्होंने राजयोग की वह पद्धति सीखी जो बाहरी भौतिक सुविधाओं और घटनाओं के स्थान पर आंतरिक आध्यात्मिक शक्ति को महत्व देती थी। इसने उनके जीवन में उस समय प्रकाश और उत्साह का संचार किया जब उन्हें चारों ओर अंधकार व निराशा का अनुभव हो रहा था।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि ब्रह्म कुमारी संस्थान पिछले लगभग 80 वर्षों से आध्यात्मिक उन्नति, व्यक्तित्व के आंतरिक परिवर्तन तथाविश्व समुदाय के पुनरुद्धार के लिए अमूल्य योगदान दे रहा है। शांति, अहिंसा और प्रेम पर आधारित सेवा भावना के जरिए इस संस्थान ने समग्र शिक्षा, ग्राम विकास, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, आपदा प्रबंधन, दिव्यांगजनों और अनाथ बच्चों के कल्याण और पर्यावरण संरक्षण जैसे कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने इन नेक कार्यों के लिए ब्रह्माकुमारी की सराहना की।

राष्ट्रपति ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्थान 137 देशों में लगभग 5000 ध्यान केन्द्रों का संचालन कर रहा है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक भाइयों द्वारा सहायता प्राप्त इस संगठन में महिलाएं प्रमुख भूमिका निभाती हैं। यह महिलाओं द्वारा चलाया जाने वाला सबसे बड़ा आध्यात्मिक संगठन है जो यह सिद्ध करता है कि अवसर मिलने पर महिलाएं पुरुषों के बराबर या उससे भी बेहतर काम कर सकती हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि ब्रह्माकुमारी संस्थान ने महिला सशक्तिकरण में सक्रिय भूमिका निभाई है। ब्रह्मा बाबा का मानना ​​है महिलाओं के आध्यात्मिक, सामाजिक और बौद्धिक सशक्तिकरण में ही विश्व का समग्र विकास निहित है। उन्होंने कहा कि इसी सोच के साथ ब्रह्मा बाबा ने महिलाओं को अग्रणी भूमिका दी और आज के विश्व-समुदाय को ऐसी ही सोच की और अधिक आवश्यकता है.

राष्ट्रपति ने कहा कि अध्यात्म ही वह प्रकाश-पुंज है जो पूरी मानवता को सही राह दिखा सकता है। हमारे देश को विश्व शांति के लिए विज्ञान और अध्यात्म दोनों का उपयोग करना है। हमारा लक्ष्यहै कि भारत एक नॉलेज सुपर पावर बने। हमारी आकांक्षा है कि इस ज्ञान का उपयोग सतत विकास के लिए, सामाजिक सौहार्द के लिए, महिलाओं तथा वंचित वर्गों के उत्थान के लिए, युवाओं की ऊर्जा के समुचित उपयोग के लिए और विश्व में स्थाई शांति की स्थापना के लिए हो।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज हमारे सामने, जलवायु परिवर्तन के कारण, अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है। पर्यावरण का संरक्षण भी एक तरहका आध्यात्मिक सशक्तिकरण ही है क्योंकि स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण, हमें शांति प्रदान करते हैं। पर्यावरण और अध्यात्म का यह परस्पर संबंध हमारे लिए कोई नई बात नहीं है। हम सदियों से पेड़ों, पहाड़ों और नदियों की पूजा करते आ रहे हैं। अपने जीवन में शांति लाने के लिए हमें पर्यावरण की रक्षा करनी ही होगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि अनिश्चितता के इस दौर में भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनेके साथ-साथ विश्व में शांति के अग्रदूत की भूमिका भी निभा रहा है। हमारा देश अपनी संस्कृति और परंपरा के अनुरूप अध्यात्म वनैतिकता पर आधारित विश्व व्यवस्था के निर्माण हेतु सक्रिय है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 'राइज' अभियान सभी देशवासियों को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाते हुए,भारत को भी एक सशक्त राष्ट्र बनाने में अपना योगदान दे तथा पूरी मानवता के कल्याण को संबल प्रदान करेगा।

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