भारत की राष्ट्रपति ने स्वर्ण जयंती समारोह के भाग के रूप में मनाए जाने वाले आईआईएम बैंगलोर के स्थापना सप्ताह समारोह का उद्घाटन किया

आईआईएम बेंगलुरु में प्रतिभा, आकांक्षाओं और अच्छे इरादों से मिल जाती है: राष्ट्रपति मुर्मु

राष्ट्रपति भवन : 26.10.2023

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 26 अक्तूबर, 2023 को बेंगलुरु, कर्नाटक में भारतीय प्रबंधन संस्थान बेंगलुरु के स्वर्ण जयंती समारोह के भाग के रूप में मनाए जाने वाले स्थापना सप्ताह समारोह का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईएम बैंगलोर प्रबंधन प्रतिभा और संसाधनों का पोषण और संवर्धन कर रहा है। पिछले 50 वर्षों में इसने न केवल प्रबंधकों को बल्कि प्रमुखों, नवप्रवर्तकों, उद्यमियों और परिवर्तनकर्ताओं को भी तैयार किया है। इस संस्थान में प्रदान की जाने वाली शिक्षा न केवल बोर्डरूम, कार्यस्थल और बाज़ार में बल्कि जीवन के हर संभव और बोधगम्य क्षेत्र में समस्याओं, चुनौतियों और मुद्दों से निपटने के
लिए उत्तम मेधाओं को तैयार करती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि अपनी स्थापना से ही व्यावसायिकता, दक्षता और योग्यता, वे मान्य विशेषताएं रही हैं जिन पर आईआईएम बैंगलोर हमेशा खरा उतरा है और अपनी योग्यता साबित की है। उन्होंने कहा कि इसने नवाचार और क्षमता निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई है और शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में स्थाई प्रभाव डाला है। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसे रोमांचक दौर में रह रहे हैं जो चौथी औद्योगिक क्रांति का युग है। आईआईएम बैंगलोर के
डेटा सेंटर और एनालिटिकल लैब द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में किए जा रहे कार्य का व्यापार और अर्थव्यवस्था के भविष्य पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि अपनी उत्कृष्टता और क्षमता के लिए विख्यात आईआईएम बैंगलोर को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि इस संस्था पर भरोसा जताया गया है तथा इस संस्थान से बड़ी आशा है और इस पर बड़ा विश्वास है। उन्होंने आगे कहा कि इस संस्थान में प्रतिभा, आकांक्षाओं और अच्छे इरादों से मिल जाती है।

राष्ट्रपति ने भावी संपत्ति सृजनकर्ताओं को सलाह दी कि वे महात्मा गांधी के जीवन-पाठों से सीखें जो व्यवसाय की नैतिकता से मेल खाते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि गांधीजी के लिए नैतिकता को अपनाए बिना सफलता प्राप्त करना पाप के समान था। उन्होंने विद्यार्थियों को पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में उत्कृष्टता का लक्ष्य रखने और आईआईएम बैंगलोर की महान विरासत के अनुरूप जीने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जिस संसार में वे रह रहे हैं उसके बारे में शिकायत नहीं होनी चाहिए बल्कि एक ऐसा संसार बनाना चाहिए जहां आने वाली पीढ़ियों को शिकायत नहीं रहे बल्कि वे सद्भाव, आशावाद, समृद्धि और समानता के साथ रह सकें।

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.