भारत की राष्ट्रपति जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं

राष्ट्रपति भवन : 10.03.2023

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 10 मार्च, 2023 को नई दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं और उसे संबोधित किया।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि पूरे भारत के छात्र जेएनयू में पढ़ते हैं। यह विश्वविद्यालय विविधताओं में भारत की सांस्कृतिक एकता का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है। दूसरे देशों के छात्र भी इस विश्वविद्यालय में अध्ययन करते हैं। इस प्रकार पढ़ाई के केंद्र के रूप में जेएनयू को भारत के बाहर भी जाना जाता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक संवेदनशीलता तथा समावेश, और महिला सशक्तीकरण के संदर्भ में जेएनयू अपनी प्रगतिशील कार्य प्रणालियों और समृद्ध योगदान के लिए विख्यात है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जेएनयू के आचार्यों और विद्यार्थियों ने शिक्षा और शोध, राजनीति, सिविल सेवा, कूटनीति, सामाजिक कार्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, मीडिया, साहित्य, कला और संस्कृति जैसे विभिन्न क्षेत्रों में देश-विदेश में प्रभावशाली योगदान दिया है। । उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि 'नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क' के तहत वर्ष 2017 से जेएनयू देश के विश्वविद्यालयों में लगातार दूसरे स्थान पर बना हुआ है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जेएनयू के संस्थापक विधान में इसके विजन, मिशन और उद्देश्यों को व्यक्त किया गया था। इसके बुनियादी सिद्धांतों में राष्ट्रीय एकता, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, लोकतांत्रिक जीवन शैली, अंतर्राष्ट्रीय समझ और समाज की समस्याओं के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण शामिल हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय समुदाय से इन मूलभूत सिद्धांतों का दृढ़ता से पालन करने के लिए कहा।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का एक प्रमुख उद्देश्य चरित्र निर्माण भी होता है। तात्कालिक बहाव में आकर, चरित्र निर्माण के अमूल्य अवसर को कभी भी गंवाना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा विद्यार्थियों में जिज्ञासा के साथ-साथ, प्रश्न करने और तर्क की कसौटी का उपयोग करने की सहज प्रवृत्ति होती है। इस प्रवृत्ति को सदैव प्रोत्साहित करना चाहिए। युवा पीढ़ी द्वारा अवैज्ञानिक रूढ़ियों के विरोध को भी प्रोत्साहित करना चाहिए। विचारों को स्वीकार करना या खारिज करना, वाद-विवाद और संवाद पर आधारित होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों को पूरे विश्व समुदाय के बारे में चिंतन करना है। जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, युद्ध और अशांति, आतंकवाद, महिलाओं की असुरक्षा तथा असमानता जैसी अनेक समस्याएं मानव समाज के समक्ष चुनौतियां प्रस्तुत कर रही हैं। प्राचीन काल से लेकर आज तक दुनिया के प्रमुख विश्वविद्यालयों ने व्यक्ति और समाज की समस्याओं का समाधान खोजा है तथा मानव समाज के लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इन विषयों को लेकर सचेत तथा सक्रिय रहना विश्वविद्यालयों का
दायित्व है।

राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों को बनाए रखने, संविधान के मूल्यों का संरक्षण करने, राष्ट्र-निर्माण के लक्ष्यों को प्राप्त करने एवं पूरी मानवता के हित में कार्य करने में अपना प्रभावी योगदान देंगे।

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